प्रणय पत्रिका वाक्य
उच्चारण: [ perney petrikaa ]
उदाहरण वाक्य
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- ... 'शायद' प्रणय पत्रिका 'में हैं.
- प्रणय पत्रिका में उन्होने लिखा-लेकिन मैं तो बेरोक सफ़र में जीवन के एक और पहलू से होकर निकल चला ।
- इस मनुष्य का अगला विकास प्रणयकाव्य (सतरंगिनी, मिलनयामिनी, प्रणय पत्रिका) में नीड़ का फिर-फिर निर्माण करने तथा अँधेरी रात के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए भी अँधेरे के सामने आत्मसमर्पण किए बिना दीवा जलाकर अंधकार पर प्रकाश की जीत को सुनिश्चित करने वाले धीर नायक के रूप में सामने आता है।
- निशा-निमंत्रण ', ‘ प्रणय पत्रिका ', ‘ मधुकलश ', ‘ एकांत संगीत ', ‘ सतरंगिनी ', ‘ मिलन यामिनी ', ” बुद्ध और नाचघर ', ‘ त्रिभंगिमा ', ‘ आरती और अंगारे ', ‘ जाल समेटा ', ‘ आकुल अंतर ' तथा ‘ सूत की माला ' नामक संग्रहों में आपकी रचनाएँ संकलित हैं।
- तेरा हार (1932) मधुशाला (1935) मधुबाला (1936) मधुकलश (1937) निशा निमंत्रण (1938) एकांत संगीत (1939) आकुल अंतर (1943) सतरंगिनी (1945) हलाहल (1946) बंगाल का काव्य (1946) खादी के फूल (1948) सूत की माला (1948) मिलन यामिनी (1950) प्रणय पत्रिका (1955) धार के इधर उधर (1957) आरती और अंगारे (1958) बुद्ध और नाचघर (1958) त्रिभंगिमा (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962) दो चट्टानें (1965) बहुत दिन बीते (1967)
- हरिवंशराय बच्चन जो कि हिन्दी के विख्यात कवि थे, कौन अरे वो ही अपने एक्टर अमिताभ बच्चन जी के बाबूजी | उन्होनें बहुत सी कविताएं और रचनायें लिखीं जिनमें से मुख्य हैं मधुशाला, निशा निमंत्रण, सतरंगिनी, खादी के फूल, दो चट्टानें, आरती और अंगारे, मधुबाला, मधुकलश, प्रणय पत्रिका आदि | उन्होने हिन्दी कविता के इतिहास […]
- ' प्रणय पत्रिका के अंतिम पूर्व गीत में वे लिखते हैं कि ' गगन-गगन के ऊपर घन, घन के ऊपर है उडुगन पांती उडगन के ऊपर बसता है, प्राण पपीहे का प्रिय स्वाती उसकी आँखों के करुणा कण, का सपना होंठ पर अंकित कर जिसने सागर को गोदी में बिठला उपहास किया-सा, तन के सौ सुख सौ सुविधा में मेरा मन वनवास दिया-सा। '
- प्रणय पत्रिका के अंतिम पूर्व गीत में वे लिखते हैं कि ' गगन-गगन के ऊपर घन, घन के ऊपर है उडुगन पांती उडगन के ऊपर बसता है, प्राण पपीहे का प्रिय स्वाती उसकी आँखों के करुणा कण, का सपना होंठ पर अंकित कर जिसने सागर को गोदी में बिठला उपहास किया-सा, तन के सौ सुख सौ सुविधा में मेरा मन वनवास दिया-सा।' (लेखिका हिन्दी की सहायक प्राध्यापक हैं)
- सतरंगिनी / हरिवंशराय बच्चन (1945) हलाहल / हरिवंशराय बच्चन (1946) बंगाल का काल / हरिवंशराय बच्चन (1946) खादी के फूल / हरिवंशराय बच्चन (1948) सूत की माला / हरिवंशराय बच्चन (1948) मिलन यामिनी / हरिवंशराय बच्चन (1950) प्रणय पत्रिका / हरिवंशराय बच्चन (1955) धार के इधर उधर / हरिवंशराय बच्चन (1957) आरती और अंगारे / हरिवंशराय बच्चन (1958) बुद्ध और नाचघर / हरिवंशराय बच्चन (1958) त्रिभंगिमा / हरिवंशराय बच्चन (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे / हरिवंशराय बच्चन (1962)
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